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Writer's pictureNoel Lorenz

Jaruri Tha

जरूरी था...


आँखों से मुझे उतरना जरूरी था।

मोहब्बत में मुझे टूटना जरूरी था।


दूर होकर भी मुझे तेरे साये का

हाथ थाम चलना भी जरूरी था।


अपनी ही तलाश में खुद को

खो कर तुम्हें पाना भी जरूरी था।


किताब के बीच मयुर पँख सा

दिल मे संभाले रखना जरूरी था।


इश्क़ में तुझमें बिखर कर मुझे

खुद को समेट ना भी जरूरी था।


बेचैन रात को मेरा बेहिसाब दर्द

भरे किस्से सुनना भी जरूरी था।


तुझे अपनी बाहों में सुला कर

ख़ुद को जगा ना भी जरूरी था।


नीक राजपूत

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